भारतीय क्रिकेट के ‘लिटिल मास्टर’ सुनील गावस्कर आज यानी की 10 जुलाई को अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार हैं। पूर्व कप्तान ने उस दौर में कई बेहतरीन और शानदार पारियां खेली। उस समय क्रिकेट के मैदान पर तेज गेंदबाजों का दबदबा हुआ करता था। लेकिन फिर भी सुनील गावस्कर को आउट करने में गेंदबाजों को पूरी ताकत झोंकनी पड़ जाती थी। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर सुनील गावस्कर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
मुंबई में 10 जुलाई 1949 को सुनील गावस्कर का जन्म हुआ था। जन्म के बाद उनसे मिलने के लिए परिवार के कई लोग आए थे। जिसमें उनके काका भी शामिल थे। काका ने गावस्कर के कान के पास एक बर्थमार्क देखा था। लेकिन जब अगले दिन काका हॉस्पिटल पहुंचे, तो उन्होंने जिस बच्चे को गोद में उठाया उसके कान पर वह निशान नहीं था। इस पर काका परेशान हो गए और हंगामा कर दिया। फिर पूरे हॉस्पिटल के बच्चे चेक किए गए और गावस्कर मछुआरे की पत्नी के पास मिले।
दरअसल, नर्स ने उनको गलती से मछुआरे की पत्नी को दे दिया। बच्चों को नहलाने के समय बच्चे बदल गए। अगर तब काका ने ध्यान न दिया होता, तो हो सकता था कि गावस्कर मछुआरे होते। गावस्कर क्रिकेट के उस दौर के नायक बने, जब भारतीय क्रिकेट टीम आज की तरह चमक-दमक वाली नहीं थी। देश में क्रिकेट को नई लहर देने का काम सुनील गावस्कर ने किया था।
बेस्ट क्रिकेटर
सुनील गावस्कर अपने पढ़ाई के दिनों से ही एक अच्छे क्रिकेटर के तौर पर अपनी पहचान बना चुके थे। साल 1966 में उनको ‘बेस्ट स्कूल ब्वॉय’ का पुरस्कार मिला था। सेंकेंडरी शिक्षा के लास्ट दो साल में दो लगातार डबल सेंचुरी लगाकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। साल 1966 में उन्होंने रणजी मैच से अपना डेब्यू किया था। रणजी मैच में कर्नाटक के साथ खेलते हुए उन्होंने दोहरा शतक लगाया और चयनकर्ताओं को प्रभावित किया था। साल 1971 के टूर के लिए उनको वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम के लिए चुना गया।
वहीं डेब्यू की तीसरी ही पारी में शतक लगाकर गावस्कर ने जता दिया था कि वह एक लंबी रेस का घोड़ा हैं। उन्होंने क्वींस पार्क ओवल में अंतिम मैच में बिना हेलमेट के वेस्टइंडीज के खतरनाक गेंदबाजों का मुकाबला किया और मैच की दोनों पारियों में दो शतक लगाए। इस दौरान डेब्यू सीरीज में वेस्टइंडीज के खिलाफ 774 रन बनाए।
परिवार से मिली क्रिकेट की शिक्षा
गावस्कर के क्रिकेट करियर को आकार देने में पिता मनोहर गावस्कर के साथ मां मीनल ने भी अहम योगदान दिया था। वह बचपन में टेनिस गेंदों से खेलते थे और उनकी मां गेंदबाजी करती थीं। बाद में भारत का यह सितारा ऐसा चमका कि उनकी कोई सानी नहीं रही। गावस्कर ऐसे बल्लेबाज रहे थे, जिनको आउट करने में गेंदबाजों के पसीने छूट जाते थे।
विवादों से रहा है नाता
सुनील गावस्कर अक्सर अपने निष्पक्ष बयान के कारण चर्चे में रहते हैं। लेकिन साल 1981 में मेलबोर्न में अंपायर द्वारा आउट किए जाने पर अपने साथी खिलाड़ी को भी मैदान से बाहर कर दिया था। हरभजन सिंह के मंकीगेट के बयान पर भी उनको आलोचना का सामना करना पड़ा था। वहीं कई अन्य ऐसे मामले हैं, जिसके कारण गावस्कर विवादों में रहे हैं।