इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान गेंद बदलने के प्रोटोकॉल से भारतीय टीम प्रबंधन नाखुश है। उसने मैच रफेरी को अपनी चिंता बताई है। प्रबंधन का ये भी मानना है कि इस महीने की शुरुआत में लॉर्ड्स टेस्ट में खेले गए सीरीज के अहम तीसरे टेस्ट मैच की शुरुआत में गेंद चुनने के मामले में बेईमानी हुई।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, लॉर्ड्स में इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान, जब दूसरी नई गेंद 10 ओवर के बाद खराब हो गई तो नई गेंद 30-35 ओवर पुरानी गेंद मिली। प्रोटोकॉल के अनुसार नई गेंद मूल गेंद जितनी ही पुरानी होनी चाहिए, लेकिन पता चला कि अंपायर्स ने टीम को बताया कि स्टॉक में कोई भी गेंद 10 ओवर पुरानी नहीं थी।
भारतीय टीम का मानना है कि चूंकि उन्हें पहले 10 ओवरों में स्विंग और सीम मूवमेंट वाली सख्त गेंद की जगह एक नरम और पुरानी गेंद मिली थी, इसलिए टेस्ट में उन्हें नुकसान हुआ। इंग्लैंड ने अंतत: 22 रनों से जीत हासिल कर सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। रोमांचक चौथा टेस्ट ड्रॉ पर समाप्त हुआ और आखिरी मैच गुरुवार से शुरू होगा।
वहीं भारतीय टीम के एक अधिकारी ने बताया कि, लॉर्ड्स में लगभग 10 ओवर के बाद ड्यूक्स गेंद अपना आकार खो बैठी, जैसा कि इस सीरीज में अक्सर होता रहा है। गेंद दोनों रिंग से नहीं गुजर पाई। हालांकि, अंपायर्स के पास 10 ओवर पुरानी गेंद नहीं थी, इसलिए मैच के एक अहम मोड़ पर भारतीय टीम को 30-35 ओवर पुरानी गेंद मिली। इसके बाद खेल कैसे बदला, ये जानने के लिए स्कोरबोर्ड देखें। गेंदबाजों की स्विंग कम हो गई और इंग्लैंड ने आसानी से रन बनाए लिए।