एक दशक में भारतीय क्रिकेट टीम ने मैदान पर काफी उतार-चढ़ाव देखा है। इस दौरान कभी खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से दिल जीता तो कभी फैंस को निराश भी होना पड़ा। लेकिन इस बीच एक चीज का स्तर लगातार गिरता गया है और वह है क्रिकेट कमेंट्री। एक दौर था, जब रेडियो पर कमेंट्री सुनकर मैच सुनने वाले मैदान की फील्डिंग से लेकर बॉलर और कप्तान के साथ बल्लेबाज की रणनीति तक समझ लेते हैं। आज 72 कैमरों से लाइव प्रसारित होने के बावजूद युवाओं को ये समझ नहीं आता कि गली और प्वाइंट में क्या अंतर है।
हाल ही में भारतीय टीम के पूर्व टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा ने क्रिकेट कमेंट्री के गिरते स्तर पर नाराजगी जताई है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में कमेंट्री की क्वालिटी की तुलना भारतीय कमेंट्री से करते हुए इसे निराशाजनक बताया। रोहित ने कहा कि, जब हम यहां टीवी पर मैच देखते हैं तो कमेंटेटर्स का बोलने का तरीका बहुत निराशाजनक है। ऑस्ट्रेलिया में कमेंट्री का स्तर बिल्कुल अलग और बेहतर है। यहां भारत में ऐसा लगता है कि कमेंटेटर्स का मकसद सिर्फ एक खिलाड़ी को निशाना बनाकर नेगेटिव बातें करना है।
रोहित ने आगे कहा कि भारतीय कमेंट्री खेल की बारीकियों और तकनीक पहलुओं पर ध्यान देने के बजाय विवादों को बढ़ावा देने पर फोकस है, जो असली क्रिकेट फैंस के लिए अच्छा नहीं है। ये बयान उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद दिया, जिसने क्रिकेट जगत में चर्चा को जन्म दिया है। बता दें कि, इससे पहले भी कई क्रिकेट फैंस ने अपने आइडल को सोशल मीडिया पर टैग कर, कमेंट्री की क्वालिटी को बेहतर करने की अपील की थी और सहवाग-हरभजन जैसे खिलाड़ियों ने उनकी बात को नजरअंदाज नहीं किया।