ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट और टी20 क्रिकेटर निक मेडिनसन एक जानलेवा बीमारी से जूझ रहे थे जिसके बाद उन्होंने उसे मात देकर वापसी की है। मेडिनसन ने बताया है कि उन्हें टैस्टिकुलर कैंसर था जिसे वह मात देने में सफल रहे लेकिन इस दौरान उनका सफर बेहद दर्द भरा रहा। मेडिनसन ने बताया है कि उन्होंने टेस्टिकुलर कैंसर को हराने के लिए कितनी कठिन लड़ाई लड़ी।
उन्होंने बताया कि सर्जरीऔर कई हफ्तो की कीमोथेरेपी के बाद उन्होंने इस बीमारी को मात दी। आखिरी बार मार्च में शेफील्ड शील्ड में खेलने वाले मेडिनसन की जांच में कैंस का पता चलने के बाद उनका ट्यूमर हटाने के लिए ऑपरेशन किया गया। लेकिन उनकी असली लड़ाई तो इसके बाद शुरू हुई।
2014 से 1015 के बीच आरसीबी के लिए खेलने वाले मेडिनसन ने क्रिकेट डॉट कॉम डॉट एयू से बात करते हुए बताया कि जब उन्हें अपने कैंसर के बारे में बताया तो वह डरावना पल था। उन्होंने कहा कि, जब मुझे पता चला कि मुझे कीमो करवानी है तो ये मेरे लिए बहुत मुश्किल पल था। कैंसर मेरे पेट के लिए लिम्फ नोड्स और फेफड़ों तक फैल चुका था। वह पल मेरे लिए सबसे डरावना था।
मेडिनसन ने स्वीकार किया कि कीमोथेरेपी के वो 9 हफ्ते उनके जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण हफ्ते थे। कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को कम करने के लिए उन्हें स्टेरॉइड्स दिए गए, लेकिन उनके भी गंभीर असर हुए। उन्होंने कहा कि, दूसरे या तीसरे हफ्ते करते थे लेकिन वे मुझे रात में सोने नहीं देते थे। मैं 1 बजे तक तो सो जाता, लेकिन फिर सुबह 6 बजे तक जागता रहता। ये बहुत कठिन था। मैं पूरी तरह थक चुका था और ऐसा लगता था कि मैं 24 घंटे सोता ही रहूं।